मेरी ज़िन्दगी मेरी दिलरुबा तेरे लिये
क्या-क्या लिखूँ
तुझे काँपती सदा लिखूँ या एक नशीली हया
लिखूँ...
मै थक गया तुझे ढूंढकर तुम हो कहाँ आब-ए-हयात
तुझे मर्ज़ का मै सबब लिखूँ या मर्ज़ की दवा
लिखूँ...
मुझे प्यार है मेरे ज़ख्म से तोहफे तेरे ये
क़बूल है
तुझे अश्क़ का दरिया लिखूँ या दर्द का सहरा लिखूँ
तेरे होने से हर सोज़ है तेरे होने से हर साज़
है
तुझे जिस्म पर पहरा लिखूँ य़ा राज एक गहरा
लिखूँ...
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